Ncert Solutions Class 9 Hindi Vakh

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Chapter 10 वाख are provided here with simple step-by-step explanations. These solutions for वाख are extremely popular among Class 9 students for Hindi वाख Solutions come handy for quickly completing your homework and preparing for exams. All questions and answers from the NCERT Book of Class 9 Hindi Chapter 10 are provided here for you for free. You will also love the ad-free experience on Meritnation's NCERT Solutions. All NCERT Solutions for class Class 9 Hindi are prepared by experts and are 100% accurate.

Page No 98:

Question 1:

' रस्सी ' यहाँ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और वह कै सी है ?

Answer:

यहाँ रस्सी से कवयित्री का तात्पर्य स्वयं के इस नाशवान शरीर से है। उनके अनुसार यह शरीर सदा साथ नहीं रहता। यह कच्चे धागे की भाँति है जो कभी भी साथ छोड़ देता है और इसी कच्चे धागे से वह जीवन नैया पार करने की कोशिश कर रही है।

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Question 2:

कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं ?

Answer:

कवयित्री के कच्चेपन के कारण उसके मुक्ति के सारे प्रयास विफल हो रहे हैं अर्थात् उसमें अभी पूर्ण रुप से प्रौढ़ता नहीं आई है जिसकी वजह से उसके प्रभु से मिलने के सारे प्रयास व्यर्थ हैं। वह कच्ची मिट्टी के उस बर्तन की तरह है जिसमें रखा जल टपकता रहता है और यही दर्द उसके हृदय में दु : ख का संचार करता रहा है, उसके प्रभु से उसे मिलने नहीं दे रहा।

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Question 3:

कवयित्री का ' घर जाने की चाह ' से क्या तात्पर्य है ?

Answer:

कवयित्री का ' घर जाने की चाह ' से तात्पर्य प्रभु से मिलन है। उसके अनुसार जहाँ प्रभु हैं वहीं उसका वास्तविक घर है।

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Question 4:

भाव स्पष्ट कीजिए -

( ) जेब टटोली कौड़ी पाई।

( ) खा - खाकर कु पाएगा नहीं ,

खाकर बनेगा अहंकारी।

Answer:

( ) यहाँ भाव है कि मैंने ये जीवन उस प्रभु की कृपा से पाया था। इसलिए मैंने उसके पास पहुँचने के लिए कठिन साधना चुनी परन्तु इस चुनी हुई राह से उसे ईश्वर नहीं मिला। मैंने योग का सहारा लिया ब्रह्मरंध करते हुए मैंने पूरा जीवन बिता दिया परन्तु सब व्यर्थ ही चला गया और जब स्वयं को टटोलकर देखा तो मेरे पास कुछ बचा ही नहीं था। अर्थात् काफी समय बर्बाद हो गया और रही तो खाली जेब।

( ) भाव यह है कि भूखे रहकर तू ईश्वर साधना नहीं कर सकता अर्थात् व्रत पूजा करके भगवान नहीं पाए जा सकते अपितु हम अहंकार के वश में वशीभूत होकर राह भटक जाते हैं। ( कि हमने इतने व्रत रखे आदि )

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Question 5:

बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललद्यद ने क्या उपाय सुझाया है ?

Answer:

कवयित्री के अनुसार ईश्वर को अपने अन्त : करण में खोजना चाहिए। जिस दिन मनुष्य के हृदय में ईश्वर भक्ति जागृत हो गई अज्ञानता के सारे अंधकार स्वयं ही समाप्त हो जाएँगे। जो दिमाग इन सांसारिक भोगों को भोगने का आदी हो गया है और इसी कारण उसने ईश्वर से खुद को विमुख कर लिया है, प्रभु को अपने हृदय में पाकर स्वत : ही ये साँकल ( जंजीरे ) खुल जाएँगी और प्रभु के लिए द्वार के सारे रास्ते मिल जाएँगे। इसलिए सच्चे मन से प्रभु की साधना करो , अपने अन्त : करण व बाह्य इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर हृदय में प्रभु का जाप करो, सुख व दुख को समान भाव से भोगों। यही उपाय कवियत्री ने सुझाए हैं।

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Question 6:

ईश्वर प्राप्ति के लिए बहुत से साधक हठयोग जैसी कठिन साधना भी करते हैं , लेकिन उससे भी लक्ष्य प्राप्ति नहीं होती। यह भाव किन पंक्तियों में व्यक्त हुआ है ?

Answer:

यह भाव निम्न पंक्तियों में से लिया गया है :-

आई सीधी राह से, गई न सीधी राह।

सुषम - सेतु पर खड़ी थी , बीत गया दिन आह !

जेब टटोली, कौड़ी न पाई।

माझी को दूँ , क्या उतराई ?

लेखिका के अनुसार ईश्वर को पाने के लिए लोग हठ साधना करते हैं पर परिणाम कुछ नहीं निकलता। इसके विपरीत होता यह है कि हम अपना बहुमूल्य वक्त व्यर्थ कर देते हैं और अपने लक्ष्य को भुला देते हैं। जब स्वयं को देखते हैं तो हम पिछड़ जाते हैं। हम तो ईश्वर को सहज भक्ति द्वारा भी प्राप्त कर सकते हैं। उसके लिए कठिन भक्ति की कोई आवश्यकता नहीं है।

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Question 7:

' ज्ञानी ' से कवयित्री का क्या अभिप्राय है ?

Answer:

यहाँ कवयित्री ने ज्ञानी से अभिप्राय उस ज्ञान को लिया है जो आत्मा व परमात्मा के सम्बन्ध को जान सके ना कि उस ज्ञान से जो हम शिक्षा द्वारा अर्जित करते हैं। कवयित्री के अनुसार भगवान कण - कण में व्याप्त हैं पर हम उसको धर्मों में विभाजित कर मंदिरों व मस्जिदों में ढूँढते हैं। जो अपने अन्त : करण में बसे ईश्वर के स्वरुप को जान सके वही ज्ञानी कहलाता है और वहीं उस परमात्मा को प्राप्त करता है। तात्पर्य यह है कि ईश्वर को अपने ही हृदय में ढूँढना चाहिए और जो उसे ढूँढ लेते हैं वही सच्चे ज्ञानी हैं।

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Source: https://www.meritnation.com/cbse-class-9/hindi/%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%9C-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%97-1-ncert-solutions/%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%96/ncert-solutions/11_3_1317_1565_98_11227

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